तहकीकात न्यूज @ वेब डेस्क . बैकुन्ठपुर
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के 151वीं एवं भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी के 116 वीं जयंती को कोविड 19 संक्रमण के कारण राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय बैकुण्ठपुर, शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बैकुण्ठपुर एवं पं जे पी उपाध्याय शासकीय महाविद्यालय पटना के द्वारा संयुक्त रूप से गूगल मीट पर वर्चुअल माध्यम से मनाया गया। कार्यक्रम डाॅ ए सी गुप्ता प्राचार्य अग्रणी महाविद्यालय के संरक्षण, डाॅ ए के सिन्हा कार्यक्रम समन्वयक संत गहिरा गुरू विष्वविद्यालय सरगुजा अम्बिकापुर के मुख्य आतिथ्य एवं डाॅ आई एल देवांगन प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय पटना के अध्यक्षता तथा प्रो एम सी हिमधर जिला संगठक के संयोजन एवं संचालन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ जिला संगठक एवं स्वयं सेवकों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री जी के छायाचित्र पर माल्र्यापण एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। वरिष्ठ स्वयं सेवक विमल कुमार ने गांधी की प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम की प्रस्तुती दी। डाॅ आर एन कच्छप प्राचार्य एवं कार्यक्रम अधिकारी शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बैकुण्ठपुर ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा की गांधी जयंती को अन्र्तराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हम जो बदलाव दूसरों में लाना चाहते हैं उसे सबसे पहले अपने में लाना होगा। स्वयं सेवकों की ओर से शालिनी सिंह श्याम व आकाश सिंह द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य एवं षिवम सागर, लवकुमार, सिमरन परवीन, टकेष्वर, प्रियांषु उपाध्याय, आकाष सिंह, अभय यादव द्वारा प्रस्तुत मुक अभिनय महात्मा को मत बांटो सराहा गया। काव्य पाठ अन्तर्गत कु0 प्रीति पाण्डेय, सीमा, आषीष कुषवाहा, जितेन्द्र कुषवाहा, सिमरन परवीन, अल्पना साहू, कविता, नीलम, विद्या, सिद्वी, चांदनी, शबाना खान, प्रेरणा गीत अन्तर्गत कु रूपाली, अमृता सिंह तथा भाषण अन्तर्गत कु सुनिता, शक्ति राजवाड़े, बिहारी लाल साहू ने प्रस्तुती दी। वक्ता के रूप में कार्यक्रम अधिकारी डाॅ विनय कुमार शुक्ला, ने कहा की गांधी जी मानवता के प्रतिमूर्ति हैं उनका विचार और सिद्वांत आज भी प्रासंगिक है मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नहीं बल्कि मजबूती का नाम महात्मा गांधी है। प्रो षिवषंकर राजवाड़े ने कहा कि आजादी के लिए गांधी जी ने सत्य और अंहिसा का जो मार्ग चुना वह सारी दुनिया के अनुकरणीय है। हमारे स्वयं सेवकों को दोनो महापुरूषो के जीवन से प्रेरणा मिलती है। डाॅ आषुतोष देउस्कर सहायक प्राध्यापक मनोविज्ञान ने संबोधित करते हुए बताया की महात्मा गांधी जी एक संत थे वे सिर्फ आजादी के मसीहा नहीं थे अपितु आजादी के बाद भी सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहे। यदि हम अपने जीवन में सत्य और अंहिसा का 2 प्रतिषत भी अपना लें तो एक अच्छे इंसान बन जायेगें। श्रीमती जयश्री मण्डल देवनाथ ग्रंथपाल ने कहा की जयंती मनाने का उद्देष्य दोनो महापुरूषों के बारे में जानना है और उनके गुणों को जीवन में उतारना है। मुख्य अतिथि डाॅ ए के सिन्हा ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि रासेयो की स्थापना महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष 1969 को हुआ था। दोनों ही महामानवों ने देष और समाज के लिए जो सेवा की है। वह अनुकरणीय है। गांधी जी के विचार पूरी दुनिया के लिए एक मार्गदर्षन हैं। उनके बताये मार्ग पर चलने की आज संकल्प लीजिए हमें उनकी वेषभूषा से भी प्रेरणा मिलती है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ आई एल देवागंन ने बताया कि सत्य और अंहिसा के बल पर ही गांधी जी ने देष को आजादी दिलायी। अपने व्यक्तिगत कार्यो से समय निकालकर दूसरों के लिए कार्य करते रहना ही गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्वांजली होगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए जिला संगठक प्रो एम सी हिमधर ने स्वयं सेवकों को गांधी जी के सत्य अंहिसा और सेवा भाव से तथा राष्ट्रीय हित और समाज कल्याण भाव की प्रेरणा शास्त्री जी की जीवन से लेनी चाहिए आप सभी एक अच्छे इंसान बनकर राष्ट्र के विकास में अपना योगदान कीजिए। कार्यक्रम का तकनीकी संयोजन वरिष्ट स्वयं सेवक देवनारायण सिंह के द्वारा किया गया। अंत में आभार प्रदर्शन डाॅ आर एन कच्छप ने किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में कार्यक्रम सहायक मो0 आरीफ ढेबर, सुरेष साहू, षिवकुमार, संजय, वरिष्ठ स्वयं सेवक सिमरन परवीन, लवकुमार, विमल कुमार, शबाना खान, शालिनी सिंह, प्रियाषु, शिवम सागर और अभय यादव का सक्रिय योगदान रहा।


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