तहकीकात न्यूज @ दिनेश बारी . लखनपुर
हिंदू पर्व त्योहारों के श्रृंखला में जीवित्पुत्रिका यानी जिवितिया व्रत का विशेष महत्व प्राचीन काल से रहा है पुत्रवती माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं सुख समृद्धि की कामना के साथ इस व्रत को करती हैं।
पौराणिक मान्यता अनुसार अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को यह व्रत पुत्रवती माताओं द्वारा किया जाता है संतान के दीर्घायु होने की कामना से व्रती माताएं 36 घंटे की निर्जला उपवास रख विधि विधान से पूजा अनुष्ठान करके राजा जीमूत वाहन के सु चरित्र एवं चिलही सियारनीकी पौराणिक कथा सुनती हैं। पौराणिक मान्यता अनुसार प्राचीन महाभारत काल में ऋषि धौम्य के बताए अनुसार महारानी द्रोपदी ने महिलाओं के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत को पुत्रों के लंबी उम्र के लिए किया था इसके अलावा व्रत से संबंधित
अनेकों क्षेत्रीय किस्से कहानियां जुड़े हुए हैं संतानों के लंबी उम्र के नजरिए से यह व्रत अति महत्वपूर्ण है। रिवाज के मुताबिक लखनपुर क्षेत्र के व्रत धारी माताओं ने बुधवार को छोटा उपवास 12 घंटे का रखा तत्पश्चात दूसरे रोज गुरुवार को 24 घंटे का निर्जला उपवास रखते हुए शुक्रवार को व्रत तोड़ने पश्चात पारण कर सकेंगी सरगुजा में जिउतिया व्रत को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है इस रोज कहीं-कहीं आदिवासी अंचलों में करमा नृत्य का भी आयोजन होता है


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