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बुधवार, 2 सितंबर 2020

बदस्तूर जारी है जंगलो की अंधाधुंध कटाई कर वन भूमि पर कब्जे का खेल



 तहकीकात न्यूज  @ दिनेश बारी . लखनपुर

लखनपुर  वन परीक्षेत्र अंतर्गत वन भू माफियाओं एवं वन अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिदिन सैकड़ों  वृक्षों की बली दी जा रही है और वन भूमि पर कब्जा किए जाने का खुला खेल बदस्तूर जारी है प्रतिदिन कई एकड़ वन भूमि की कटाई बड़े पैमाने में की जा रही है वन परीक्षेत्र  मैं मुख्य रूप से पटकुरा, लब्जी, कुन्नी,रेम्हला ग्राम लॉसगा के रपटा पानी ,भुरखुदुवा सहित आस पास के वनखंडों में जंगलों सहित आसपास के  पेडों की अंधाधुंध कटाई बड़े पैमाने पर की जा रही है जंगलों की संघार बेखौफ वन भू माफियाओं द्वारा वनअधिकारियों के सरपरस्ती में की जा रही है वन परीक्षेत्र लखनपुर के वन खंडों में जंगल भूमि पर कब्जा किए जाने का प्रतिस्पर्धा वन भूमि वन भू माफियाओं के इशारे पर ग्राम और ग्रामीणों के बीच चल रहा है लगातार बदस्तूर होने वाले जंगलों में बेतहाशा कटाई के कारण आने वाले चार-पांच सालों में लखनपुर क्षेत्र के तमाम जंगल पूरी तरह से पथरीले पठार के शक्ल में तब्दील होकर रह जाएंगे यदि बात करें वन अधिकार पत्र की तो वन अधिकार पट्टा के आड़ में अधिक भूमि पर कब्जा किए जाने का कार्य किया जा रहा है वन विभाग के आला अधिकारी कर्मचारी पी ओ आर के नाम पर महज खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं हजार दो हजार रुपए की राशि लेकर रसीद काट कर वन अमला द्वारा दी जा रही  हैं ।

वही रसीद अवैध अतिक्रमणकारियों का हथियार बनता जा रहा है वन विभाग के उदासीन रवैया  मामले में साफ तौर पर देखा जा रहा है वन भू माफियाओं तथा अधिकारियों के आपसी सांठगांठ से जंगलों के हरे भरे पेड़ सघनता एवं  प्राकृतिक  पर्यावरण पर  ग्रहण लगता जा रहा है।


वन विभाग के अधिकारियों द्वारा वन भूमि को बेचने का जो खेल चल रहा है उसकी गवाही खुद वन परिक्षेत्र के कई बिटो में  वन खंड स्वेता दे रहे हैं ।

मिसाल के तौर पर ग्राम रेमला जंगल के कक्ष क्रमांक 2227 2266 2267 ग्राम पटकुरा बीट के 2205 2206 2207 2208 2209 एवं 2210 ग्राम लब्जी जंगल के बीट  क्रमांक 2287 2288 22089 2292 2293 2294 के 

अलावा वन परीक्षेत्र लखनपुर अंतर्गत कई जंगलों में खुलेआम बड़े -छोटे पेड़ों की बलि चढ़ा कर अवैध तरीके से भूमि पर कब्जा किए जाने कि सिलसिला जारी है ।


यह बात भी सामने आया है कि रातों-रात जेसीबी मशीन  के माध्यम से अतिक्रमण कारी वन भूमि को खेत में बदलने जैसा कार्य बड़े पैमाने पर कर रहे हैं यदि यही आलम रहा तो जंगल भी बिरनो में तब्दील होकर रह जाएगी ।

जिस तरह से वन भूखंडों पर कब्जा किया जा रहा है उससे जाहिर होता है कि सरगुजा लखनपुर वन परीक्षेत्र पर बैठे बड़े बड़े अधिकारी इस गतिविधि में  सनलिप्त होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

यही कारण है कि जंगलों का सफाया किए जाने का काला धंधा  सतत जारी है बड़े अधिकारियों में एसडीओ वन विभाग वन  परी क्षेत्राधिकारी कि मूक सहमति होने की बात बताई जा रही है ।

वन भूमि में पेड़ों को काटकर वन भूमाफिया द्वारा कब्जा करने जैसे हिमाकत करने की कोशिश की जा रही वन भू माफियाओं एवं वन विभाग के अधिकारियों कि  आपसी  मधुर संबंध होने के कारण जंगल भूमि की सौदेबाजी का बाजार बेखौफ धड़ल्ले से चल रहा है।

 वन विभाग के सर्किल प्रभारी बीट गार्ड मामले में शरीक हैं बताया जारहा है चुनौती देने वाले वन माफियाओं को जंगल की कटाई व वन भूमि पर कब्जा करने की अनुमति आसानी से मिल जाती है इस सौदेबाजी में कई  एकड़ जंगल भूमि की कीमत 20 से30 हजार रुपये लेकर कब्जा दिए जाने का भी चर्चा जोरों पर है।

यह प्रक्रिया वन परीक्षेत्र लखनपुर में लंबे अरसे से चल रहा है वन भूखंडों में हो रहे अवैध कब्जा को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं उच्च अधिकारियों के संज्ञान में नहीं होने एवं  सूक्ष्म जांच नहीं हो पाने के कारण वन भूमाफियाओं का हौसला बुलंद है कई मर्तबा ऐसे मामलों की शिकायत होने के पश्चात भी जांच में किसी तरह का कोई नतीजा सामने नही अपाया है ।

जिस स्तर से जंगलों की अंधाधुंध कटाई कर वन भूमि पर  कब्जा किया जा रहा है उच्च स्तर पर उच्च जांच टीम गठित अभी तक नहीं कि गई है महज खानापूर्ति विभाग के द्वारा किया जा रहा है अन्यथा बड़े  मात्रा में मामले उजागर होने की संभावना व्यक्त भी की जा रही।



इस संबंध में वन विभाग के एसडीओ एस एल मिश्रा  से चर्चा करने पर बताया कि मीडिया वाले उस जगह का नाम बताएं जहां पैरों को काटकर वन भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है जाहिर तौर पर विभागीय अधिकारियों के कथन से साबित होता है कि शासन प्रशासन ने विभागीय अधिकारियों को नुमाइश के लिए बैठा रखा है मीडिया के समक्ष बयान देने से सांप बचते नजर आ रहे हैं।


वन विभाग के डीएफओ पंकज कमल से मोबाइल में संपर्क करने पर उनका मोबाइल स्विच ऑफ बताया गया इस संदर्भ में उनकी प्रतिक्रिया सामने नहीं आ सकती।

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