तहकीकात न्यूज @ वेब डेस्क
हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। पितृ मोक्ष अमावस्या और भगवान विश्वकर्मा जयंती एक ही दिन पड़ने से दोनों पर्व एक साथ मनाए जाएंगे। एक ओर घर-घर में पितरों के निमित्त अर्पण-तर्पण किया जाएगा वहीं दूसरी ओर उद्योगों, मशीनरी दुकानों, ऑफिस में विविध यंत्रों की पूजा-अर्चना करके भगवान विश्वकर्मा को याद किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा के आदेश पर विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए महलों और भवनों का निर्माण किया था। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव के रहने के लिए उन्होंने ही सोने का महल भी बनाया था, जो बाद में रावण को मिला और जिसे लंका के नाम से जाना गया। भगवान विश्वकर्मा को देव बढ़ई के रूप में भी जाना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यापार, व्यवसाय, उद्योग में प्रगति होती है।
कंप्यूटर-लैपटॉप, मोबाइल की करें पूजा
धर्म के जानकारो का कहना है कि भगवान विश्वकर्मा को विश्व का प्रथम शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने ही अनेक यंत्रों का आविष्कार किया। पुष्पक विमान, अस्त्र, शस्त्र, रथ, धनुष, बाण, गदा, फरसा, घातक वज्र सुदर्शन चक्र, त्रिशूल, विविध आभूषणों का निर्माण किया। इस मान्यता के कारण ही उद्योगों में मशीनरी की पूजा करते हैं। पुराने जमाने के यंत्र अब आधुनिक युग में कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के रूप में इस्तेमाल होने लगे हैं। दुनिया में जितने भी यंत्र हैं, सभी भगवान विश्वकर्मा की ही देन हैं। इनसे रोजी-रोटी कमाने वालों को विश्वकर्मा जयंती पर कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल की पूजा करनी चाहिए।
ऐसे करें पूजा
कार्यस्थल पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या फोटो को चौक पर विधिवत स्थापित करे फूल, अक्षत लेकर निम्न मंत्र पढ़ें और अक्षत को चारों ओर छिड़क दें और फूल चढ़ा दें ॐ आधार शक्तपे नमः और ॐ कूमयि नमः, ॐ अनन्तम नमः, ॐ पृथिव्यै नमः मंत्र पढ़ें पूजा के बाद औजारों और यंत्रों आदि पर जल, रोली, अक्षत, फूल और मिष्ठान चढ़ाएं धूप, दीपक प्रज्वलित करें और वातावरण की शुद्धि के लिए हवन भी जरूर करना चाहिए
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