तहकीकात न्यूज @ वेब डेस्क
पितृ पक्ष का समापन अमावस्या तिथि पर 17 सितंबर को हो रहा है आज लोग अपने ज्ञात-अज्ञात सभी पूर्वजों का तर्पण करेंगे ज्योतिषाचार्य एवं पंडितों का कहना है कि नदी-तालाब में स्नान के बाद कुश धारण कर अंजुली में जल लें और दोनों हाथ ऊपर उठाकर अर्पण करें, इससे पूर्वज प्रसन्न होंगे और खुशहाली का आशीर्वाद देंगे। कोरोना महामारी के चलते यदि नदी-तालाब में जाना संभव न हो तो घर में ही तर्पण किया जा सकता है। सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध की सबसे अहम और आखिरी तिथि होती है, जो इस बार गुरुवार को पडी है। जिन पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती उनका तर्पण सर्व पितृ अमावस्या के दिन किया जाना चाहिए। मान्यता के अनुसार इस दिन पितरों के निमित्त उपाय करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। मनु स्मृति के अनुसार तर्पण एक यज्ञ करने के बराबर है। शुद्ध जल, गाय के दूध, चंदन, श्वेत पुष्प, जौ, तिल, चावल और कुश द्वारा किया गया तर्पण श्रेष्ठ माना जाता है। तर्पण में कुश का विशेष महत्व होता है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, शिव तीनों का वास माना जाता है। नदी, तलाब में तर्पण को श्रेष्ठ कहा गया है, लेकिन जो नदी-तालाब नहीं जा सकते वह घर में तर्पण कर सकते हैं। एक बाल्टी में लगभग चार-पांच लोटा साफ जल में थोड़ा सा जौ, तिल, चावल, सफेद फूल, सफेद चंदन, गंगाजल आदि मिलाकर तर्पण का जल बनाना चाहिए।
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