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@ दिनेश बारी . लखनपुर
लखनपुर छेत्रन्तर्गत ग्राम जमगला में हस्तशिल्प विकास बोर्ड अम्बिकापुर एव भारतीय हस्तशिल्प मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में गोदना ट्रेनिग प्रोग्राम का आयोजन कर महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है जहां इसके अंतर्गत 20 महिलाओं को प्रतिदिन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय महिलाओं को गोदना कला का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनने की कला सिखाई जा रही है ताकि वे स्वयं आर्थिक रूप से सक्षम बन सके।गौरतलब है कि सरगुजा के सबसे पुराने कला के रूप में गोदना कला को देखा जाता है जिसके बाद हस्तशिल्प बिभाग द्वारा लगतार प्रशिक्षण देकर महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है ।महिलाओं को यहां राज्य पुरस्कार प्राप्त रामकेली पावले, फराहारो प्रजापति द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है।प्रशिक्षण यहां 17 अगस्त से प्रारम्भ हो कर 18 अक्टूबर तक चलेगा।यहां महिलाओं द्वारा साड़ी, स्कार्फ,रुमाल,आदि में गोदना कला को उभारा जा रहा है जिसके बाद बाहर इसे प्रदर्शनी के लिए ले जाये जाएगा।कोरोना काल मे इस कला को ऑनलाइन माध्यम से भी प्रदर्शित करने की व्यवस्था की जा रही है।
इस अवसर गोदना कला पर रिसर्च कर रही श्रेया ताम्रकर तथा ट्रेनिंग प्रोग्राम की प्रशिक्षक रामकेलि पावले से बात की गयी।
श्रेया ताम्रकरइस संबंध में जब गोदना कला के बारे में जानने पहुची श्रेया ताम्रकर से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि लखनपुर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम जमगला में यह ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है जहां यह प्रोग्राम 17 अगस्त से 16 अक्टूबर तक चलेगा।इस गोदना ट्रेनिंग प्रोग्राम में 20 महिलाओं को प्रतिदिन प्रशिक्षको के द्वारा इस कला को लेकर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
गोदना कला की प्रशिक्षक रामकेली पावले ने बताया कि गोदना कला हमारे सरगुजा की प्राचीनतम कलाओं में से एक है जिसका प्रशिक्षण ग्राम के ही 20 महिलाओं को दिया जा रहा है।गोदना कला से रुमाल,साड़ी, चादर आदि में गोदना कला को ब्रश के माध्यम से उकेरा जा रहा है।कोरोना काल होने के कारण इस कला का प्रदर्शन हम नही कर पा रहे हैं पर कोरोना काल खत्म होने के पश्चात बाहर दूसरे राज्यों में प्रदर्शनी लगा इसकी बिक्री की जाएगी।
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