तहकीकात
न्यूज @ सुरजीत सिंह रैना . मनेन्द्रगढ
छत्तीसगढ़ में वन प्रबंधन समितियों के गठन का उद्देश्य वन क्षेत्रों की सुरक्षा तथा वनोपज उत्पाद में वृद्धि करना है। प्रदेश कॆ कुल 32 वन मण्डलों में 7887 समितियां काम कर रही है। मनेंद्रगढ़ वन मण्डल में 179 वन सुरक्षा समिति व 23 वन ग्राम समिति कार्य कर रही है। 2001 में ग्रामों के घनत्व के आधार पर वन सुरक्षा समिति तथा ग्राम वन समिति गठित किया गया । 2007 में दोनों समितियों को संशोधित संकल्प के साथ वन प्रबंधन समिति का नाम दिया गया। संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम लागू होने के इतने वर्षों बाद भी यह बहुत उपयोगी सिद्ध नहीं हो रहा है। विभिन्न परिक्षेत्रो से मिल रही जानकारी के अनुसार यह कार्यक्रम भी दूसरे सरकारी कार्यक्रमों की तरह महज कागजी बन कर रह गया है। आपसी सहभागिता व सतत विकास की अवधारणा पर आधारित होने के बावजूद अपनी संपदा का खुद प्रबंधन करने का अधिकार मुश्किल से मिला है। जानकारो कि माने तो इस कार्यक्रम को फ्लाप करने का सबसे बढ़िया तरीका इन समितियों को काम ना दे कर निष्क्रिय कर देना लगता है। वन मण्डल मनेंद्रगढ़ अंतर्गत वन परिक्षेत्र बहरासी में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिलता है। जहाँ लगातार तीसरे वित्तीय वर्षों में वन प्रबंधन समिति से कोई काम नहीं लिया गया । वन परिक्षेत्र बहरासी से मिली जानकारी के अनुसार इन तीन वर्षों में उनके यहां गठित समितियों को ना तो वानिकी और ना ही निर्माण संबंधी कार्य दिया गया है। इतने लम्बे समय तक इनको कोई काम नहीं देना कही ना कही विभाग की मंशा पर सवाल खड़े करते है।
वन प्रबंधन समिति के कार्य :-
सूक्ष्म नियोजन की तैयारी में सहायता करना।
वृक्षारोपण के लिए प्रजातियों के चयन में सहायता करना ।
भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यॊ का सुझाव देने में सहायता करना ।
प्रवेश बिंदु कार्यक्रमों को सुझाव देना ।
जागरूकता कार्यक्रम ।
धन संग्रह कार्यक्रम में सहायता करना ।
सूक्ष्म प्रबंध योजना में इन समितियों को ग्राम के निवासियों की आर्थिक , सामाजिक सर्वेक्षण करना , जल एवं वनोपज के सोत्र की संभावना पर विचार , चराई को नियंत्रित करना , कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन करना तथा कच्चे माल के उत्पाद को बढ़ना एवं बिगड़े वन क्षेत्रों का प्रबंध करना है।
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