डेम का गेट टूटा व्यर्थ बह रहा पानी ! तकनीकी खामियां उजागर । - The Tahkikat News

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मंगलवार, 8 सितंबर 2020

डेम का गेट टूटा व्यर्थ बह रहा पानी ! तकनीकी खामियां उजागर ।

करोड़ों खर्च के बाद भी शंकरगढ़ व्यपवर्तन योजना में लग रहा सवालिया निशान !



तहकीकात न्यूज  @  सुरजीत सिंह रैना . मनेन्द्रगढ

कोरिया जिले में जल संसाधन विभाग के कारनामे आए दिन‌ उजागर होते रहते ही  है। मगर अब लगता है कि जनता के पैसे को पानी की तरह बहाने में विभाग को महारथ हासिल हो गयी है। किसानों को अपने खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो‌ सके‌ इसलिए ‌पूर्ववर्ती सरकार की तरह वर्तमान सरकार में भी जल संसाधन विभाग के द्वारा व्यपवर्तन योजना अंतर्गत डेम का निर्माण करवाया जा रहा है। मगर पूर्व में हुई गलतियाँ से सबक लेने की बजाय वही गलतियाँ पुनः दोहराया जा रहा है। ताजा मामला शंकर गढ़ व्यपवर्तन योजना में दिखाई दे रहा है।  जहां ग्राम शंकर गढ़ में जल संसाधन विभाग द्वारा सिंचाई व्यवस्था को मजबूत बनाने हेतु शंकर गढ़ व्यपवर्तन योजना का कार्य जिस पर लगभग 916 .12   लाख रू एवं भू- अर्जन सहित 932.70 लाख रू खर्च किये जा चुका है।   विभाग का दावा है कि नहर को  रेलवे ट्रेक पार होने के बाद  फसलों के लिए सिंचाई हेतु पानी दिया जाएगा । जिससे डंगौरा , भल्लौर , डोमनापारा सहित लालपुर के ग्रामॊ की 450 हेक्टेयर जमीन जिसमें खरीफ की 300 व रबी की 150 हेक्टेयर जमीन सिंचित करने का लक्ष्य  निर्धारित किया गया है। परंतु डेम में लगा गेट के क्षतिग्रस्त होने से डेम में एकत्रित पानी  बड़ी रफ्तार से निकल जा रहा है। जानकारो कि माने तो डेम के आकार को देखते हुए अच्छी क्वालिटी के सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए था। मगर गेट की हालत देख कर उसके क्वालिटी का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।अब  जब तक पानी खाली नहीं हो जाता तब तक गेट की मरम्मत करना सम्भव नहीं लगता ।  बांध को खोलने वाला राड़ ऊपर की तरफ कही नजर नहीं आ रहा जिससे स्पष्ट है कि राड व गेट आपस में अलग हो गये है। क्योंकि गेट गहरे पानी में डूबा हुआ है इसलिए स्पष्ट कहना जल्दी बाजी होगी कि वास्तविकता क्या है ? मगर इतना तो तय है कि विभाग के द्वारा कुछ  ना कुछ छिपाया जा रहा है।



नहर निर्माण में खामियां :- शंकर गढ़ व्यपवर्तन में नहर के माध्यम से किसानों के खेत में पानी पहुँचाया जाना था। मगर विभाग के द्वारा नहर निर्माण में की गई तकनीकी खामियां के वजह से नहर का पानी अपने अंतिम छोर तक पहुँच पाए उसमें ‌संदेह नजर‌ आ रहा है। सूत्रों की माने तो विभाग को अपनी गलती का अहसास हो गया है ,  जिसे छुपाने के लिए डेम की‌ ऊंचाई बढ़ने की बात कही जा रही है।




 सिरिया खोह व अन्य डेम की तरह कागजों में सिंचाई :- जल संसाधन विभाग द्वारा इससे पूर्व जिले में सिरिया खोह , घुटरा व पडरी में भी करोड़ों की लागत से डेम व नहर का निर्माण कार्य करवाया गया था। जहाँ खेतों में पानी पहुँचना तो दूर डेम में ही पर्याप्त पानी नहीं है। मगर विभाग का दावा कि किसानों को लाभ मिल रहा है। जिसकी सच्चाई मौके पर जा कर‌ देखी जा सकती है   किस तरह विभाग शासन - प्रशासन को गुमराह कर रहा है। बहरहाल अनुविभागीय अधिकारी का इस मामले में कथन शुतुरमुर्ग की तरह अपनी आंख बंद कर समस्या से मुँह  छिपाने की तरह है।        ‌    ‌‌


 हमारे द्वारा गेट खोला गया है। जो कि 15 सितम्बर तक बंद कर दिया जाएगा । नहर में पूरा पानी उपयोग हो इसलिए डेम की दूसरी तरफ एक नहर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।

                                 ए. के. पांडे                                  

अनु विभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग           मनेंद्रगढ़।

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