तहकीकात न्यूज @ सुरजीत सिंह रैना . मनेन्द्रगढ
करोड़ों रूपये की लागत से बने शंकरगढ़ व्यपवर्तन योजना का डेम उपयोग से पहले ही भ्रष्टाचार व घटीया निर्माण सामग्री उपयोग की वजह से महज कागजों में ही उपयोगी साबित हो रहा है। अनेक खामियां के वजह से सुर्खियों में बनी यह योजना का संग्रहीत पानी गेट में खराबी के कारण व्यर्थ में बह जाने की खबर दा तहकीकात ने प्रमुखतः से उठाया था। तब विभाग के अधिकारी अनजान बन कर अपने जिम्मेदारी से बचते नजर आए थे।
15 सितम्बर तक बंद कर देंगे गेट
शंकर गढ व्यपवर्तन योजना का पानी निकलने के सवाल पर अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन ने यह कहा था कि उनके आदेश पर ही गेट खोला गया है। जिसे 15 सितम्बर तक बंद कर दिया जाएगा। मगर आज जब उनसे सवाल पूछने पर उन्होंने माना कि गेट की चूड़ी में खराबी आने के कारण पानी निकल जा रहा है। सूत्रों कि माने तो विभाग द्वारा गेट को रेत से भरी बोरियों से बंद करने के उपाय पर विचार कर रहा है। यदि विभाग इस तकनीक का उपयोग करता है तो भविष्य में पानी निकासी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
कम पानी में अनुपयोगी नहर
शंकरगढ़ व्यपवर्तन योजना अंतर्गत 450 हेक्टेयर सिंचाई के लिए बनी नहर डेम में महज कुछ मीटर पानी कम होने पर अनुपयोगी साबित हो जाएगी । तकनीकी खामियां की वजह से डेम के पानी का पूरा उपयोग नहीं होने पर विभाग के काम करने के तरीका पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वभाविक प्रतीत होता है।
जंग से खराब हो रहे गेट
शंकर गढ़ व्यपवर्तन योजना में बनी नहर के गेट की स्थिति को देख कर असानी से समझा जा सकता है। कि घटिया सामग्री के उपयोग के कारण गेट में असानी से जंग लग रहे है।
गेट की चूड़ी में खराबी के कारण गेट बंद नहीं हो सका है। सम्बंधित इंजीनियर को बोला गया है कि रिपोर्ट बना कर भेजा जाए।
ए. के. पाण्डेय अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन मनेंद्रगढ़
गेट में खराबी के कारण पूरी तरह बंद नहीं हो रहा है। मैने अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारी को सौंप दी है।
आर . एस . जायसवाल इंजीनियर जल संसाधन विभाग मनेंद्रगढ़ ।
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