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शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

जिस सरकार को किसानों की सरकार बताया जाए और किसान आत्महत्या में वृद्धि हो तो उसे सरकार का फ़रेब, धोखा, छलावा नहीं तो और क्या कहेंगे-डॉ रमन सिंह

 नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट पर पूर्व सीएम की प्रतिक्रिया- राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल

क्यों कथित किसान पुत्र के राज में छत्तीसगढ़ किसानों की आत्महत्या के मामले में देश में छठवें स्थान पर हैं?

खुशहाली के दावे के बीच क्यों 233 कृषकों व खेतिहर ने आत्महत्या की?

रोज़गार देने का दावा करने वाले भूपेश बघेल को बताना चाहिए कि प्रदेश में 1679 मजदूरों ने आत्महत्या क्यों की



तहकीकात न्यूज  @  वेब डेस्क . रायपुर

 भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2019 की नेशनल क्राइम ब्यूरो के रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। उन्होंने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल करते हुए छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को चिंताजनक बताया हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय औसत 3.4 प्रतिशत हैं। वहीं आत्महत्या के मामलों में छत्तीसगढ़ में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि प्रदेश सरकार की नीति और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में 7629 लोगों द्वारा आत्महत्या किया जाना और छत्तीसगढ़ राज्य में आत्महत्य की दर में वृद्धि के साथ देश में नौवें स्थान पर आना प्रदेश सरकार की हर मोर्चे पर विफलताओं को प्रमाणित करता हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे प्रदेश की तुलना में कई बड़े बड़े प्रदेशों की आत्महत्या की दर में गत वर्ष की तुलना में कमी दर्ज की गई हैं। वहीं प्रदेश में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि प्रदेश में कांग्रेस सरकार से बढ़ती निराशा और हताशा का परिणाम हैं।


पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा कि उनकी सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है, सीएम अपने आपको लगातार किसान पुत्र बताते हैं फिर क्यों किसान पुत्र के राज में छत्तीसगढ़ किसानों की आत्महत्या के मामले में देश में छठवें स्थान पर हैं? आपके द्वारा किसानों की खुशहाली के दावे के बीच क्यों 233 कृषकों व खेतिहर ने आत्महत्या की? उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रदेश सरकार किसानों की खुशहाली का दावा करते नहीं थकती, किसानों के नाम पर लायी गयी तमाम योजनाओं का ढिंढोरा पीटा जाता हैं। राजीव गांधी न्याय योजना से लेकर रोका छेका और गोबर खरीदी की बात की जाती हैं, विज्ञापन, होर्डिंग में खूब प्रचार होता हैं परंतु यह बड़ा दुर्भग्यपूर्ण हैं कि इन तमाम दावों की पोल छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या के बढ़ते आंकड़ों से आज खुल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि रोज़गार देने का दावा करने वाले भूपेश बघेल और उनकी सरकार को बताना चाहिए कि प्रदेश में 1679 मजदूरों ने आत्महत्या क्यों कर ली? मजदूरों की आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में आठवें स्थान पर कैसे पहुंच गया? क्या प्रदेश में बेरोजगारी की पीड़ा झेल रहे प्रदेश के युवाओं की आत्महत्या की जिम्मेदार भूपेश बघेल की सरकार नहीं हैं? कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते बेरोजगारी भत्ता का वादा करने वाले बघेल जी मुख्यमंत्री बनते ही क्या आपने बेरोजगारी भत्ता और रोजगार ना देकर प्रदेश के युवाओं को छला नहीं? छल और धोखे के चलते प्रदेश के कई युवाओं ने आत्महत्या का रास्ता अख्तियार कर लिया। उन्होंने भूपेश बघेल से पूछा, आप तो कर्मचारियों के हित में निर्णय की बात करते थे। प्रदेश सरकार के तानाशाही रवैये के चलते प्रदेश में शासकीय कर्मचारी व अधिकारी कितने दबाव में हैं वह पिछले वर्ष 66 शासकीय कर्मचारियों व अधिकारियों की आत्महत्या से प्रमाणित होता हैं।


पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि देश के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी किसान आत्महत्या के मामले नहीं हैं। पर जिस राज्य में कांग्रेस के नेता सरकार को किसानों की सरकार बताएं और किसान आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हो तो उसे सरकार का फ़रेब, धोखा, छलावा नहीं तो और क्या कहेंगे। उन्होंने कहा कि गंगा जल की कसम खा कर झूठ और फ़रेब का सहारा ले कर सत्ता पा लेना अलग बात हैं पर सरकार चलाना, जनहित में कार्य करना जन भवना के अनुरूप कार्य करना अलग बात हैं। इसे समझने के लिए जनता से जुड़ना होता हैं न कि जनता को छल कर तानाशाही चलाना। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि जबसे प्रदेश में कांग्रेस की किसान पुत्र वाली किसान,युवा,महिला,बुजुर्ग हितैषी बताने वाली सरकार आयी हैं हर वर्ग असंतुष्ट हैं, निराश, हताश हैं। युवा, बेरोजगार और विद्यार्थी अपनी शिक्षा, रोजगार और बेरोजगारी भत्ते को लेकर असंतुष्ट हैं। किसान न्याय की आशा में हताश निराश हैं। कर्मचारी, अधिकारी दबाव और तानाशाही से असंतुष्ट हैं। महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और युवा हर वर्ग असंतुष्ट है।रिपोर्ट के मुताबिक देश के कई बड़े बड़े राज्यों में आत्महत्या की दर ऋणात्मक हुई हैं। वहीं प्रदेश में राष्ट्रीय औसत के दुगने से ज्यादा आत्महत्या प्रदेश सरकार से हर वर्ग के दुखी होने की बात प्रमाणित करता हैं।

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