तहकीकात न्यूज @ वेब डेस्क
पितृ पक्ष के दिन चल रहे हैं। इन दिनों विशेष श्राद्ध तिथि का विधान है। 16 दिन तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में तीन तिथियां यानी नवमी, द्वादशी और चतुर्दशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इन तिथियों का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अगर घर का कोई व्यक्ति संन्यासी बन गया हो और उसके बारे में किसी को ज्यादा कुछ पता न हो तो उसके श्राद्ध का विधान द्वादशी तिथि को होता है। वहीं, जिस व्यक्ति की मृत्यु जल में डूबने से, विष के कारण, शस्त्र घात होन से अकाल मृत्यु हो जाती है तो इस तरह के व्यक्तियों का श्राद्ध चतुर्दशी को करना चाहिए।पुराणों के अनुसार, अगर मृत्यु का कोई खास कारण होता है तो श्राद्ध पक्ष की नौंवी, बारहवीं, और चैदहवीं तिथि को व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है। मान्यता है कि जिस तिथि पर व्यक्ति कि मृत्यु होती है उसी तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। लेकिन अगर किसी की मृत्यु की तिथि न पता हो तो इसके लिए श्राद्ध पक्ष की त्रयोदशी और अमावस्या बहुत खास होती है।
सन्यासी श्राद्ध 14 सितंबर
आज सन्यासी श्राद्ध है। अगर कोई व्यक्ति सन्यासी बन जाता है तो और उसके बारे में कोई जानकारी न हो तो द्वादशी यानी पितृ पक्ष की बारहवीं तिथि को उस व्यक्ति का श्राद्ध करना चाहिए। साधु-संतों का श्राद्ध भी इसी तिथि को किया जाता है।
मघा श्राद्ध 15 सितंबर
आज पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। जब मघा नक्षत्र और त्रयोदशी तिथि का संयोग बनता है तब इस दिन विशेष श्राद्ध किया जाता है। मघा नक्षत्र का स्वामी यमराज को माना जाता है। ऐसे में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
चतुर्दशी श्राद्ध 16 सितंबर
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु जल में डूबने से, विष के कारण, शस्त्र घात होन से अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है।
अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर
अगर आपको अपने पितृ की मृत्यु तिथि का पता न हो तो उनका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या पर किया जाता है। इससे पितृ नाराज नहीं होते हैं। अमावस्या श्राद्ध गुरुवार को है।
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