दुनिया की कोई ताकत लद्दाख में हमारे जवानों को अपनी सीमा की रक्षा करने से नहीं रोक सकती - The Tahkikat News

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गुरुवार, 17 सितंबर 2020

दुनिया की कोई ताकत लद्दाख में हमारे जवानों को अपनी सीमा की रक्षा करने से नहीं रोक सकती



वेब डेस्कतहकीकात न्यूज 

मानसून सत्र के  आज चैथा दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में भी चीन विवाद पर बयान दिया। उन्होंने कहा, दुनिया की कोई ताकत लद्दाख में भारतीय जवानों को अपनी सीमा की रक्षा करने से नहीं रोक सकती। चीन के साथ सीमा का प्रश्न अभी तक अनसुलझा है। चीन ने बातचीत के बीच ही 29-30 अगस्त को लद्दाख में उकसावे की कार्रवाई की। उसकी कथनी और करनी में फर्क है। राजनाथ ने कहा, चीन के रवैए से पता चलता है कि वह दोनों देशों के समझौतों का सम्मान नहीं करता। चीन की सेना ने 1993 और 1996 के समझौते तोड़े। बॉर्डर पर शांति रखने के लिए एलएसी का सम्मान करना जरूरी है। चीन ने अवैध तरीके से लद्दाख में 38 हजार वर्ग किमी हिस्से पर कब्जा कर रखा है। चीन-पाकिस्तान के 1963 के कथित समझौते के तहत पाकिस्तान ने उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का 5,180 वर्ग किमी हिस्सा अवैध रूप से चीन को दे दिया है। चीन अरुणाचल से सटे 90 हजार वर्ग किमी के इलाके पर भी अपना दावा करता है। चीन पिछले कई दशकों से बॉर्डर के इलाकों में सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा है। उसने कंस्ट्रक्शन से जुड़ी एक्टिविटी भी बढ़ाई हैं। हमारी सरकार ने भी बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए बजट दोगुना किया है। हम चीन की किसी भी कार्रवाई का जवाब देने में सक्षम हैं। किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटेंगे। चीन की हरकत की वजह से गलवान घाटी में युद्ध की स्थिति बनी। हम शांति चाहते हैं, लेकिन देश की रक्षा से पीछे नहीं हटेंगे। 130 करोड़ देशवासियों को भरोसा देता हूं कि देश का सिर झुकने नहीं देंगे। विवाद के पॉइंट्स और सैनिकों की संख्या को लेकर इस साल स्थिति अलग है। हम मौजूदा स्थिति का शांति से समाधान चाहते हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भी तैयार हैं। राजनाथ से पहले विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, भारत चाहता है कि पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंध रहें। हम चाहते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच मुद्दे शांति और आतंकवाद मुक्त माहौल में सुलझाए जाएं। ये पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा माहौल तैयार करे और अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए होने से रोके।


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