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@ तहकीकात न्यूज
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद खत्म करने के लिए चीन की कथनी और करनी में अंतर के बाद भारत ने भी ड्रैगन से निपटने के लिए अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। नई रणनीति के तहत भारत कूटनीतिक बातचीत को महत्व तो देगा, मगर एलएसी पर अपने आक्रामक तेवरों में कोई कमी नहीं आने देगा। भारत अब चीन को लगातार संदेश देगा कि वह एलएसी पर किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। भारत ने यह नई रणनीति एलएसी पर नोमेंस जोन में चीनी घुसपैठ के बाद तैयार की है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख से जुड़े एलएसी पर शुरू हुए विवाद पर चीन ने दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति का सम्मान नहीं किया। उसकी निगाहें एलएसी से जुड़े उन विवादित इलाकों पर थीं, जिस पर दोनों देशों के बीच नोमेंस जोन बनाने पर सहमति दी। चीन की मंशा बातचीत दौरान ऐसे इलाकों पर अपना कब्जा करने की थी। इसे भांपते हुए भारत ने अपनी ओर से रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऐसी चोटियों पर अपनी स्थिति मजबूत करने की योजना बनाई। अब अपनी ही रणनीति पर मुंह की खाने और भारत की ओर से जवाबी पलटवार से चीन बौखलाया हुआ है।
पहली बार है जब शिकायत करने की भूमिका में है चीन
दरअसल, अब तक सीमा विवाद से जुड़े मुद्दे पर होने वाली सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत में चीन की स्थिति मजबूत थी। कारण यह था कि इस बातचीत में भारत शिकायत करने तो चीन शिकायत का संज्ञान लेने की भूमिका में था। चूंकि एलएसी पर अतिक्रमण चीन की ओर से हुआ था तो इस बातचीत के दौरान भारत की भूमिका एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल करने पर जोर देने तक सीमित थी। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक इस विवाद में पहली बार ऐसा हुआ है जब चीन शिकायत करने और भारत शिकायत का संज्ञान लेने की भूमिका में है। आधिकारिक सूत्र के मुताबिक कूटनीतिक और सैन्य या इस तरह की किसी भी तरह की बातचीत में शिकायतकर्ता के हाथ ज्यादा कुछ हाथ नहीं आता।
कड़ा संदेश देने के लिए पूर्व तैयारी
मई में जब चीनी घुसपैठ का खुलासा हुआ तो भारत ने ड्रैगन को कड़ा संदेश देने के लिए पूर्व तैयारियों पर जोर दिया। पहले एलएसी पर अपनी तरफ सैन्य स्थिति मजबूत की। खुद को हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार किया। इसके बाद पहली बार दक्षिण चीन सागर इलाके में जंगी जहाज उतार कर भारत ने इस मोर्चे पर भी ड्रैगन को घेरने का संदेश दिया। अब रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में भारत की पकड़ मजबूत हो गई है। इसके बाद गलवां घाटी में भिड़ंत के बाद 29-30 अगस्त की रात पैंगोंग झील में दोनों देशों के सेना के बीच झड़प हुई। पैंगोंग झील में भिड़ंत के बाद तीन अहम चोटियों पर कब्जा कर भारत ने चीन को संदेश दे दिया है कि वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।
बातचीत से दूरी नहीं बनाएगा भारत
नई रणनीति के तहत भारत ने भले ही चीन को जैसा का तैसा के अंदाज में जवाब देने का संदेश दिया है, मगर इस दौरान भारत विवाद टालने के लिए सैन्य या कूटनीतिक स्तर की बातचीत से दूरी नहीं बनाएगा। आधिकारिक सूत्र ने कहा कि रूस में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से भारत परहेज नहीं बरतेगा। प्रस्ताव आया तो विदेश मंत्री जयशंकर अपने चीनी समकक्ष से बातचीत करेंगे। सैन्य स्तर की वार्ता से भी भारत पीछे नहीं हटेगा। हालांकि, ऐसी बातचीत से पहले भारत नरम पड़ने या झुकने जैसे संदेश के बदले हर स्थिति का सामना करने का संदेश देगा।
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