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शनिवार, 5 सितंबर 2020

कृषि गुरू-सेवन दास खुंटे निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर पेश कर रहे मिसाल

 कामयाबी का जुनून होना चहिए फिर मुश्किलों में भी राह नजर आती है


विगत 4 वर्षों से कृषि शिक्षा को दे रहे हैं बढ़ावा



तहकीकात न्यूज @ मनीष सिंह . सुकमा

सुकमा जिले में कृषि गुरु के नाम से विख्यात सेवन दास खुंटे भी एक ऐसे शिक्षक है जिन्होंने सुकमा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में विगत 4 वर्षों से कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी सहित सभी छात्रों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने का कार्य का रहे हैं। श्री खुंटे पेशे से तो कृषि विभाग में डिप्टी प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर के पद पर वर्ष 2016 से कार्यरत हैं किन्तु जब उन्हें पता चला कि सुकमा में कृषि विषय में सबसे ज्यादा छात्र प्रवेश लेते हैं लेकिन सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण 12वीं उत्तीर्ण करने के पश्चात् छात्र भटक जाते हैं तब उन्होंने यहाँ के छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने की शुरुआत की। पूर्व में उन्होंने कृषि महाविद्यालय, रायगढ़ में अध्यापन कार्य किया है। इस प्रकार उन्होंने 11वीं एवं 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को निःशुल्क पढ़ाना प्रारंभ किया एवं आज तक अध्यापन का कार्य किया जा रहा है। श्री खुंटे ने वर्ष 2016 से 2018 तक बालक हाईस्कूल सुकमा में निःशुल्क अध्यापन का कार्य किया उसके पश्चात् वर्ष 2019 से 2020 (कोरोना काल के पूर्व) तक अपने निवास पर ही निःशुल्क अध्यापन का कार्य करने लगे। कुछ समय से कोरोना महामारी के चलते कक्षा आयोजित नहीं किये जाने के फलस्वरूप छात्रों को मोबाईल पर ही व्हाट्सएप  के माध्यम से आवश्यक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में 24 छात्रों को पढा़ रहे थे जिनके परिणाम शत प्रतिशत आये हैं वहीं श्री खुंटे न अब तक लगभग 200 छात्रों को पढ़ाया है। 

प्रायोगिक अध्यापन को देते है महत्व

श्री खुंटे ने बताया कि वे छात्रों को पुस्तकीय ज्ञान के अलावा प्रायोगिक कार्य भी कराते हैं क्योंकि देखकर सीखा हुआ छात्रों को जल्दी एवं ज्यादा समय तक याद रहता है। अपने निवास स्थान पर ही प्रायोगिक कार्य हेतु गमले में आलू, टमाटर, प्याज, लहसुन, गुलाब, सदाबहार, गेन्दा आदि उगाकर छात्रों को ग्राफ्टिंग एवं बर्डिंग कार्य की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों का विभिन्न प्रकार के खरपतवारों, फसलों में लगने वाले कींटो एवं रोगों तथा बकरी, गाय, मुर्गी की विभिन्न नस्लें की जानकारी को सुगमता से समझाने के लिए प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाते हैं।

इसके अलावा छात्रों को 12वीं कक्षा में कृषि विषय के साथ ही स्नातक के विभिन्न संकायों में कृषि, उद्यानिकी, कृषि अभियांत्रिकी, दुग्ध प्राद्योगिकी, मछलीपालन, वेटनरी, पॉलीटेक्निक सहित अन्य विषयों में प्रवेश के लिए बच्चों का मार्गदर्शन भी करते हैं। इसके साथ ही अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे आई.सी.ए.आर., पी.ए.टी., पी.ई.टी. एवं वी.ई.टी. आदि के लिए निःशुल्क तैयारी एवं मोटिवेशनल क्लास भी दिया जाता है। श्री खुंटे द्वारा पढ़ाये गए छात्र-छात्राएँ आज भिलाई, बेमेतरा, कांकेर, जशपुर जैसे शहरों में अध्ययन कर रहे हैं जिससे श्री खुंटे बहुत प्रसन्न हैं।


शिक्षा से ही विकास है संभव

श्री खुंटे ने बताया कि सुकमा में साक्षरता प्रतिशत बहुत कम है और शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे लोगों में जागरूकता लाई जा सकती है। उनका कहना है कि सुकमा के छात्रों में प्रतिभा है किन्तु उचित मार्गदर्शन के अभाव में वे शहरी छात्रों से पिछड़ जाते है। कृषि शिक्षा के फायदे बताते हुए उनका कहना है कि कृषि में स्नातक करने के पश्चात् शासकीय विभागों में विभिन्न पदों जैसे ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, प्रक्षेत्र प्रबंधक एवं बैंकों आदि सेक्टर में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है तथा खुद के खेतों में उन्नत कृषि कार्य करके एवं उद्यानिकी फसल अपनाकर स्वरोजगार विकसित किया जा सकता है साथ ही कृषि सेवा केन्द्र एवं किसान परामर्श केन्द्र खोलकर रोजगार अर्जित किया जा सकता है। 

शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाना चाहते है श्री खुंटे

शिक्षा के क्षेत्र में शुरुआत से ही प्रतिभावान रहे श्री खूंटे बताते है कि उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन में बहुत से प्रशस्ति पत्र और अवॉर्ड जीते हैं जिसमे राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में पेपर प्रेजेंटेशन से लेकर वक्तव्य तक शामिल है। उनके 7 शोध पत्रिकाएं,13 एबस्ट्रैक्ट, 2 लघु शोध सहित 5 हिंदी भाषी आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें 12वीं कक्षा में मेरिट लिस्ट में स्थान पाने पर मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत 10 हजार की राशि और प्रशस्ति पत्र से नवाजा जा चुका है। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2018 में हैदराबाद में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिला है। शिक्षक बनने की चाह रखने वाले श्री खूंटे का चयन 3 बार पीएचडी के लिए हुआ हैए किन्तु आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे अपनी पढ़ाई नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि वे आज भी शिक्षक बनने की चाह रखते है और अपनी चाह को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

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