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@ दिनेश बारी . लखनपुर
जाको राखे साइंया मार सके ना कोय, इस नवजात बच्ची पर चरितार्थ होती है जिसे तड़प-तड़प के मरने के लिए कलयुगी मां-बाप ने बोरे में बंद कर सड़क किनारे झड़ियों में फेंक दिया। तब झाड़ियों से बच्चे के रोने की आवाज सुनकर लोग वहां पहुंचे तो उनके भी होश उड़ गए। झाड़ियों के बीच बोरे में एक नवजात पड़ी हुई रो रही थी। बच्ची को तत्काल उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। 1 सप्ताह के अंदर सरगुजा की यह दूसरी घटना है जब नवजात बच्ची को मरने के लिए सड़क पर छोड़ दिया गया है मानवता को शर्मसार करने वाला मामला लखनपुर विकासखंड के ग्राम बेलदगी का है जहां रास्ते से गुजर रहे ग्रामीणों ने सड़क किनारे बोरे में लपटी नवजात बच्ची को रोता हुआ देख इसकी सूचना 108 एंबुलेंस तथा 112 की टीम को बुलाया 108 एंबुलेंस के चालक रामदास पैकरा टेक्नीशियन राम प्रसाद राजवाड़े तत्परता दिखाते हुए तत्काल एंबुलेंस के वार्मर में नवजात बच्ची को रखकर अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया जहां डॉक्टर विवेक भटनागर डॉक्टर पीएस मार्को तथा स्टाफ नर्सों के द्वारा नवजात बच्ची का शक्शन कर ऑक्सीजन देते हुए वार्मर में रखा गया बच्ची की स्थिति बेहतर होने के बाद बेहतर उपचार के लिए नवजात बच्ची को अम्बिकापुर मेडिकल अस्पताल भेजा गया है।
इस संबंध में ग्रामीण दिलबोध तथा सुलोचनी पंडो के द्वारा बताया गया कि बेलदगी ग्राम के ऊपर पारा से खाल पारा जा रहे थे इस दौरान बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी जिस पर रोक के बोरे को खोलकर देखा तो उसमें नवजात बच्ची रो रही थी तत्काल 108 एंबुलेंस तथा 112 की टीम को बुलाकर बच्ची को उपचार के लिए लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। इस संबंध में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पीएस मारको के द्वारा बताया गया कि प्रीमेच्योर बेबी होने के कारण बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी नवजात बच्ची को बेहतर उपचार के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है। मिली जानकारी के मुताबिक नवजात बच्ची की स्थिति में सुधार बताया जा रहा है।
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