बनाते थे असलहे------ दो हजार में तमंचा-------- नौ हजार में राइफल - The Tahkikat News

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मंगलवार, 15 सितंबर 2020

बनाते थे असलहे------ दो हजार में तमंचा-------- नौ हजार में राइफल




तहकीकात न्यूज  @  वेब डेस्क

सोमवार को उसहैत पुलिस के हत्थे चढ़ा गैंग बड़ी संख्या में अवैध असलहे बनाने का काम कर रहा था। ये गैंग अपने असलहे बदायूं में ही नहीं बल्कि शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, एटा, कासगंज तक में भी सप्लाई कर रहा था। इसके लिए उन्होंने कारीगर भी लगाए गए थे। कारीगर एक असलहा बनाने का आठ सौ से एक हजार रुपये तक ले रहा था। बाकी बिक्री कराने पर उन्हें दो सौ रुपये अतिरिक्त मिल रहे थे।

गैंग का मुख्य सरगना उसहैत थाना क्षेत्र के ग्राम कमलईयापुर निवासी रामवरन पुत्र रामदयाल है। उसने अपने साथियों के साथ गंगा नदी के टापू पर एक झोपड़ी डाल रखी थी। इस समय असलहे तैयार होते थे, तब उसके साथी पूरी निगरानी रखते थे। एक देशी तमंचा बनने में कारीगर को एक दिन का समय लगता था जबकि राइफल ऑर्डर पर बनाई जाती थी। उसे बनाने में तीन या पांच दिन लगते थे। 312 बोर की बंदूक बनाने में दो या तीन दिन लग जाते थे। ये गिरोह अब तक 150 से 200 शस्त्र बनाकर बदायूं, शाहजहांपुर और फर्रुखाबाद के अलावा अन्य जिलों में सप्लाई कर चुका है। एक 312 बोर का तमंचा 18 सौ से दो हजार और 315 बोर का दो हजार से ढाई हजार में बिक रहा था। ज्यादा चमक लाने उनकी कीमत बढ़ जाती थी। एक तमंचा बनाने पर कारीगर आठ सौ से एक हजार रुपये ले रहा था। उसकी बिक्री कराने पर दो सौ रुपये अतिरिक्त मिल रहे थे। वहीं 315 बोर राइफल सात से नौ हजार रुपये तक में बिक रही थी। राइफल ऑर्डर पर ही बनाई जाती थी। इसके अलावा 315 बोन की पौनिया चार हजार से पांच हजार और 312 बोर की पौनिया 3500 से 4500 रुपये में आराम से बिक रही थी। हजरतपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मुड़िया खेड़ा निवासी बलवीर कश्यप पुत्र अज्ञात और रूपराम कश्यप अवैध असलहे बनाने का काम करते थे। जबकि ये गैंग कच्चा माल यानी असलहे बनाने के लिए नाल और अन्य सामान एटा जिले के थाना राजा का रामपुर के भरगैन निवासी मुशीर और गफ्फार से खरीद रहे थे।



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