प्रदेश सरकार शिक्षक भर्ती के नाम पर छल-कपट की राजनीति और लोगों को आंदोलन के लिए बाध्य कर भयावह आपदा के गर्त में धकेल रही : भाजपा - The Tahkikat News

Latest

खबर हर कीमत पर

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

प्रदेश सरकार शिक्षक भर्ती के नाम पर छल-कपट की राजनीति और लोगों को आंदोलन के लिए बाध्य कर भयावह आपदा के गर्त में धकेल रही : भाजपा

 शिक्षकों की भर्ती को लेकर राजधानी में हुए प्रदर्शन को लेकर प्रदेश सरकार की बदनीयती और कार्यप्रणाली पर तीखा हमला

भर्ती प्रक्रिया लंबित होने के बारे में मुख्यमंत्री अनभिज्ञता जताएँ और अब अफ़सरों पर ठीकरा फोड़ें तो इससे बड़ी शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी क्या हो सकती है?

चयनित अभ्यर्थियों की चेतावनी के बाद भी प्रदेश सरकार ने इन 16 दिनों में इस मुद्दे को सुलझाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की?

मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही शिक्षक पदों की भर्ती प्रक्रिया को एक साल आगे बढ़ाने के लिए परीक्षाफल सूची की वैधता एक वर्ष बढ़ाने का आदेश शिक्षा विभाग ने जारी किया था!

उपासने का सवाल : कुटिल और छलावों की राजनीति करके मुख्यमंत्री कब तक प्रदेश की बेरोज़गार तरुणाई को ग़ुमराह करते रहेंगे?

 बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों को राजधानी पहुँचने के लिए बाध्य करना कोरोना संक्रमण के नज़रिए से प्रदेश को ख़तरे में डालने वाला कृत्य



तहकीकात न्यूज  @  वेब डेस्क

 भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने शिक्षकों की भर्ती को लेकर सोमवार को राजधानी में हुए प्रदर्शन को लेकर प्रदेश सरकार की बदनीयती और कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि एक तो प्रदेश सरकार भर्ती के नाम पर बेरोज़गार युवकों के साथ छल-कपट की राजनीति कर रही है और दूसरे, कोरोना संक्रमण के इस विस्फोटक दौर में प्रदेशभर के लोगों को आंदोलन के लिए बाध्य करके इस भयावह आपदा के गर्त में धकेलने का काम कर रही है। श्री उपासने ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मामले में कुटिल राजनीति करके मसले को उलझाने और संक्रामक बनाने का काम कर रहे हैं। प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर पहले ही चर्चा करके प्रदेशभर के युवाओं को राजधानी आने के लिए बाध्य होने से रोकने की ज़रूरत थी।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि जब 22 अगस्त को ही राजधानी में शिक्षक पदों के लिए चयनित अभ्यर्थियों ने एकत्र होकर प्रदेश सरकार को यह साफ कर दिया था कि 14,580 शिक्षक पदों पर भर्ती के आदेश जारी नहीं होने पर वे 07 सितम्बर को पुन: राजधानी में प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित होंगे, तो प्रदेश सरकार ने इन 16 दिनों में इस मुद्दे को सुलझाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की? श्री उपासने ने मुख्यमंत्री बघेल द्वारा शिक्षक भर्ती को लेकर हो रहे विलंब को लेकर नारज़गी जताने और एक सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने की बात करने को कोरी लफ़्फ़ाजी और बेरोज़गार युवकों के साथ धोखाधड़ी बताते हुए कहा कि अगस्त महीने में अभ्यर्थियों की चेतावनी और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के लगातार ट्वीट के बाद भी मुख्यमंत्री क्यों इस मुद्दे की गंभीरता को समझ नहीं रहे थे? शिक्षक पदों की भर्ती प्रक्रिया एक साल से लंबित होने के बारे में अगर मुख्यमंत्री अनभिज्ञता जताएँ और अब अफ़सरों पर इसका ठीकरा फोड़ने की कोशिश करें तो इससे बड़ी शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी मुख्यमंत्री बघेल की क्या हो सकती है, जबकि मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही 01 सितम्बर को शिक्षक पदों की भर्ती प्रक्रिया को एक साल के लिए आगे बढ़ाने के लिए परीक्षाफल सूची की वैधता की अवधि में एक वर्ष की वृद्धि का आदेश शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया था! तब भी क्या मुख्यमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं थी? श्री उपासने ने कहा कि इस तरह की कुटिल और छलावों की राजनीति करके मुख्यमंत्री कब तक प्रदेश और उसकी बेरोज़गार तरुणाई को ग़ुमराह करते रहेंगे?

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह रवैया प्रदेश के जनस्वास्थ्य को गंभीर संकट में डालने वाला साबित हो सकता है। कोरोना संक्रमण इन दिनों कम्युनिटी ट्रांसमिशन के दौर में है और ऐसी स्थिति में भी मुख्यमंत्री सस्ती राजनीति से उबर नहीं पा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों को राजधानी पहुँचने के लिए बाध्य करना कोरोना संक्रमण के नज़रिए से भी प्रदेश को ख़तरे में डालने वाला कृत्य है। बड़ी संख्या में पुलिस बल भी आंदोलनकारियों को रोकने में लगा था। इस दौरान न तो मास्क पहनने पर किसी का ध्यान था औ न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा था। प्रदेश में रोज़ कोरोना संक्रमितों के बढ़ते आँकड़े से पुलिस महकमा भी अछूता नहीं रह गया है। श्री उपासने ने कहा कि जब प्रदेश सरकार सोमवार को अपने विधायकों को चर्चा के लिए आंदोलनकारियों के पास भेज सकती थी तो यही काम प्रदेश सरकार ने पहले क्यों नहीं किया? चूँकि भाजपा शुरू से ही इस मुद्दे पर सरकार को पत्र लिखकर और विधानसभा में सवाल पूछकर घेर रही थी, इसलिए श्रेय लूटने की सस्ती मानसिकता ने प्रदेश को इस तरह के ख़तरे में डालने का काम किया गया है। श्री उपासने ने कहा कि इस सरकार को तो कोरोना की रोकथाम से कोई सरोकार रहा ही नहीं। शराब भठ्ठी खुलवाने के लिए लॉकडाउन में यह प्रदेश सरकार बेहद उतावली दिख रही थी। अभी हाल ही किसानों को युरिया खाद के लिए सड़क पर उतरकर संघर्ष करने के लिए भी इस सरकार ने विवश किया था। ऐसे में कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैला तो आर्थिक संकट से जूझते लोगों का क्या होगा, सरकार क्या इस स्थिति की गंभीरता को समझ रही है?

कोई टिप्पणी नहीं: