प्रतिबंधित एप का उपयोग कर है राज्य शासन के वकील - The Tahkikat News

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बुधवार, 2 सितंबर 2020

प्रतिबंधित एप का उपयोग कर है राज्य शासन के वकील



तहकीकात न्यूज  @  वेब डेस्क . रायपुर

हाई कोर्ट में दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी वकील ने केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कैम स्केनर के जरिए आदेश की कॉपी याचिकाकर्ता के वकील को वाट्सएप के जरिए पोस्ट की। इस पर वकील नेआपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जिस एप को प्रतिबंधित कर दिया है शासन की ओर से उसी एप के जरिए कैसे आदेश की कॉपी दी जा सकती है।

बलौदाबाजार जिले के ग्राम कोसमकुंडा निवासी कोटवार छुनकू राम ने नौकरी से निकाले जाने के बाद राजस्व न्यायालय के फैसले को चुनौती देने अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। वर्ष 2019 में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य शासन को नोटिस जारी कर आदेश का परिपालन करने कहा। एक वर्ष बाद भी जब हाई कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हुआ तब याचिकाकर्ता ने अपने वकील संदीप दुबे के जरिए कलेक्टर बलौदाबाजार सुनील जैन, एसडीएम व तहसीलदार के खिलाफ न्यायालयीन आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने याचिकाकर्ता के वकील को कैम स्केनर के जरिए आदेश की कॉपी वाट्सएप के जरिए पोस्ट की। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने आपत्ति दर्ज कराई है।

क्या है मामला

छुनकू राम की वर्ष 1993 में कोटवार के पद पर नियुक्ति तहसीलदार ने की थी। एक महीने बाद बोधराम ने तहसीलदार के समक्ष कोटवार छुनकू के खिलाफ गंभीर आपत्ति दर्ज कराई। बोधराम ने कहा कि कोटवार के पद पर नियुक्ति से पहले छुनकू के खिलाफ भादवि की धारा 107 व 116 का मामला चल चुका है। इसके अलावा उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के पक्ष में गवाही दी थी जो बाद में न्यायालय में फर्जी साबित हो गया था। शिकायत के आधार पर तहसीलदार ने कोटवार के पद से छुनकू को बर्खास्त करते हुए शिकायतकर्ता बोधराम की नियुक्ति कर दी। तहसीलदार के आदेश को छुनकू ने अनुविभागीय अधिकारी बलौदाबाजार के कोर्ट में चुनौती दी। प्रकरण की सुनवाई के बाद एसडीएम ने यह कहते हुए अपील खारिज कर दी कि अपीलार्थी ने तय समयसीमा के भीतर अपील पेश नहीं की है। एसडीएम के फैसले को कलेक्टर के यहां चुनौती दी। कलेक्टर ने याचिका खारिज कर दी। कमिश्नर ने भी इसी आधार पर अपील खारिज कर दी।

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