जिला प्रशासन से ग्रामिणो को आज तक नही मिली समुचित मदद
तहकीकात
न्यूज @ वेब डेस्क . बैकुन्ठपुर
एक ओर जहां भारतीय वैज्ञानिकों के कदम अंतरिक्ष पर पहुच चुके है। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिले कोरिया में विगत 3 दशको से जिले के कई गांव में फ्लोराइड के प्रकोप ने कई जिंदगियों को अपने आगोश में ले लिया है । ऐसा ही कुछ मामला इन दिनों कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत गदबदी के कंटहिया पारा में नजर आ रहा है। जहाँ विगत 25 वर्षों से यहां की दूसरी पीढ़ी फ्लोराइड से ग्रस्त नजर आ रही है फ्लोराइट का प्रकोप इस गांव में इतना बढ़ गया है कि बुजुर्गों के साथ साथ जवानों की भी हड्डियां सिकुड कर टेढ़ी-मेढ़ी हो गई। और मामला यहीं पर नहीं थमता है । इस गांव से लगे लगभग 10 से 15 गांव में यही स्थिति नजर आती है । दूसरी ओर खड़गवां विकासखंड के वी कुछ क्षेत्रों में फ्लोराईड़ की अधिकता के कारण गांव के लोग अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर हैं। फ्लोराइड की अधिकता वाले गांव में पिछले 19 वर्षों तक शुद्ध पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था कर पाने में जिला प्रशासन पूरी तरीके से नाकाम रहा है। विडंबना तो यह है कि मामला प्रकाश में आते जब तब पीएचई विभाग ने खानापूर्ति की कार्रवाई कर दी । दो चार स्थानों पर हैंडपंपों में आयरन रिमूवल प्लांट लगाकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर दिया। किंतु इन प्लांटों के लगने के बाद भी समस्या जहां की तहां बनी रही । और उसके बाद पूरे जिला प्रशासन ने इन 15 गांव के लगभग 20 से 25000 की आबादी से अपना मुख मोड़ लिया। वहीं पर इन प्रभावित गांव में विगत दिनों जिला प्रशासन के द्वारा एक दो स्थानों पर बोर कराकर वाटर हेड टैंक के माध्यम से पानी देने का प्रयास किया गया है । परन्तु यहां पर मिलने वाला पानी कितना शुद्ध है इसके बारे में कह पाना मुश्किल ।
25 साल पहले नही थी यह स्थिति
ग्रामीणों की माने तो 25 साल पहले गांव की यही स्थिति नहीं थी यहां पानी काफी साफ-सुथरा था। किंतु धीरे-धीरे पानी दूषित होता चला गया और इसका असर यह हुआ कि धीरे-धीरे लोगों के दांत पीले पड़ने लगे । उसके बाद दांत गिरने लगे फिर । शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगी । उसके बाद हाथ पैर टेढ़े मेढ़े होने लगे । युवाओ के गर्दन झुकने लगे । आज यह स्थिति है कि गांव के कई लोगों को इस बीमारी ने विगत 5 से 6 वर्षों से जमीन से उठने तक नहीं दिया है
पत्नि से नही देखी जाती पति की दशा
ऐसा ही कुछ कंटहीयापारा के रहने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति सुदामा सिंह की हालत हो गई है उसने पिछले 6 वर्षों से सूरज की किरने नहीं देखी है । वह घर की चार दीवारी के अंदर ही अपनी जिंदगी की विवशता को कोसता रहता है वही उसकी पत्नी राजमनी का कहना है कि उन्हें अचानक ही यह बीमारी हुई । एक दिन वो अचानक गिरे इसके बाद हमने बैकुण्ठपुर जिला अस्पताल सहित कई स्थानों पर इनका इलाज कराया। किंतु कोई लाभ नहीं हुआ । इस व्यक्ति के हाथ पैर पूरी तरीके से नाकाम हो चुके हैं और व्यक्ति की हालत यह हो गई है कि वो अपने हाथ पैर तक खुद गिला नहीं सकता।
वर्जन.......
मेरे पति पिछले 6 वर्षों से इसी अवस्था में पड़े हैं पता नहीं उन्हें अचानक क्या हो गया कि एक दिन गिरे और उसके बाद आज तक फिर उठ नहीं पाए । हमने इनका इलाज बैकुण्ठपुर सहित आसपास के कई अस्पतालों में कराया । किंतु कहीं कोई लाभ नहीं हुआ अब तो ये इतने कमजोर हो चुके हैं कि हाथ पैर भी नहीं हिला सकते हैं।
राजमनी-पिडित की पत्नि
20 साल पहले गांव की स्थिति नहीं थी उसके बाद धीरे-धीरे पता नहीं अचानक पानी खराब होने लगा । फिर धीरे धीरे गांव में लोगों के दांत पीले पड़ने लगे फिर दांत घिसकर झड़ने लगे काले हो गए । उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता हाथ पैर टेढ़े होने लगे लोगों के अब तो या बीमारी ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही है।
करम सिंह-ग्रामीण
मैं दूसरे गांव से यहां आई हूं किंतु मेरी शादी जब से हुई है तब से मैं अधिकांश छोटे बच्चों में या बीमारी देख रही हूं हम लोगों के पास अन्य कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है पानी पीने कहां जाएंगे । शासन से कुछ मदद मिलती नहीं है साल भर पहले पानी की टंकी बनाई गई से पानी सप्लाई किया जा रहा है किंतु अब इसमें पानी कैसा है यह कैसे बताया जा सकता है।
उर्मिला-ग्रामीण
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